
अगड़ी जाति पिछड़ी जातियों में बटा श्मसान घाट।
क्या कहता है संविधान।
देश में संविधान देश के प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार देता हो वहां अगर श्मशान घाटों को अगड़ी जाति और पिछड़ी जाति के घाटों में बांट दिया जाए तो यह एक निंदनीय घटना है। ऐसी घटनाओं पर सरकार को तुरंत एक्शन लेना चाहिए।
भेदभाव से भरी ऐसी घटनाएं समाज के लिए हितकारी नहीं होती। ऐसी घटनाओं से बेहतर समाज नहीं बनता। भेदभाव समाज को तोड़ने का काम करता है।ना कि जोड़ने का हमें एक बेहतर समाज बनाने के लिए भेदभाव नहीं करना चाहिए चाहे वह जीवन का शुरुआती सफर हो यह जिंदगी का अंतिम द्वार हमें किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करना।
देश का संविधान भले ही नागरिकों को समान अधिकार देता हो। लेकिन जातीय भेदभाव अभी भी विकास की राह में रोड़ा बना हुआ है आए दिन ऐसी ही घटनाएं इंसानियत को शर्मसार करती हुई दिखाई देती हैं।
भेदभाव से भरी ऐसी घटना बुलंदशहर के पहासू क्षेत्र में हुई है।
बुलंदशहर जिले के पहासू क्षेत्र में श्मसान घाट की भूमि को दो भागों में विभाजित कर इन्सानियत को शर्मसार करती है। जहां पर ग्राम प्रधान ने श्मसान की भूमि को चारदीवारी के अन्दर तार लगा कर दो हिस्सों में विभाजित कर दिया है। जिसमें एक तरफ अगड़ी जातियां के श्मसान तो दूसरी तरफ निम्न जातियों के लिए श्मसान बनाया गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत चुनाव को देखते हुए ऐसा किया गया होगा।
पहासू ब्लाक के बनैल गांव में 2017 में श्मशान घाट बनाया गया था अब इस घाट की एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। वायरल वीडियो में श्मशान घाट दो हिस्सों में बटा हुआ दिखाई दे रहा है। वीडियो वायरल होने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आ गया। बीडियो घनश्याम वर्मा का कहना है कि वीडियो सामने आने के बाद मामले की जानकारी हुई है। घटना की जांच कराई जा रही है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
ग्रामीणों ने बताया कि जब श्मशान बना था उसके 6 महीने बाद ही ग्राम प्रधान ने श्मशान को दो हिस्सों में करा दिया था एक तरफ दलित तो दूसरी तरफ अगड़ी जाति के शवों का अंतिम संस्कार होगा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक राजेंद्र सिंह उर्फ राजू भैया के पैतृक गांव से जातीय भेदभाव की जो तस्वीर सामने आई है वह ने सिर्फ इंसानियत को शर्मसार करती है बल्कि सवाल भी खड़ा करती है कि डिजिटल इंडिया के नागरिक सोच इतनी छोटी कैसे हो सकती है।