
आपने हक की मांग कर रहे हैं किसान।
छब्बीस नवम्बर से शुरू हुआ किसान आंदोलन आज भी जारी है ।किसान अपनी मांगो को लेकर आन्दोलन कर रहे हैं पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश के किसानों ने इस किसान आंदोलन में अपना हर प्रकार से बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है ।किसानों ने दिल्ली में प्रवेश करने वाले सभी रास्तो को रोक दिया है ।
इस किसान आन्दोलन में महिलाओं की भी काफी भागीदारी रही है विशेषकर पंजाब की महिलाओं ने अन्दोलन को गति दी है ।किसान अपने साथ रसोई का सारा सामान अपने अपने टेक्टरो के साथ रख कर लाये हैं ।किसानों का आन्दोलन अभी तक शान्तिपूर्वक चल रहा है हालांकि शासन ने अपने हर हथगंडे अपनाये किसानों के साथ जिससे की आन्दोलन को निष्क्रिय करने के लिए परन्तु ना तो किसान डरा रबड बुलेट से ना पानी की धार से किसान डरा है तो सिर्फ परबर्दगार से ।
सरकार का हर दांव निशक्रिय।
हालांकि किसान आंदोलन को लेेे कर सरकार की तरफ सेे गृहमंत्री, कृृृृषि मंत्री ने बातचीत की पहल करी किसानो का प्ररतिनिधित्व करने के लिए आये।
किसान नेताओंं को बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया गया । किसानों ओर सरकार के बीच चली इस बैठक में सरकार ओर किसानों के बैठक वे असर रही इसका कोई नतीजा नहीं निकला ।
सरकार अपने कृृषि बिल के फायदे बताती रही ओर किसान अपने आन्दोलन को आगे बढ़़ाते रहे ।
हालांकि किसानों के इस आन्दोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी प्रतिक्रिया दी है
जिसमें उन्होंने कहा कि किसानों ओर सरकार को बीच का रास्ता निकालना चाहिए ऐसे सार्वजनिक क्षेत्र में अनिश्चितकाल प्रदर्शन नहीं करना चाहिए ।
वही किसानों ने भी सुप्रीम कोर्ट केे निर्णय का स्वागत करते हुएअपने धरना प्रदर्शन के स्थान को बदलने का निर्णय कर लिया है ।अब यह धरना प्रदर्शन रामलीला मैदान या जन्तर मन्तर की जमीन पर शिफ्ट हो सकता है ।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी बात ओर नियत पर कोई शंका नहीं है लेेेकिन वे केवल अधिकारियों की बातें ही दोहराते हैंं ।
जबहम सेे उनकी बातचीत होगी हम अपनी शंंका को रखेंगे ओर उसका समाधान भी होगा ।एम एस पी को लेकर निजी क्षेत्र में भी एम एस पी मुद्दा प्रमुख होगा ।
जबकि सरकार एम एस पी के परिक्षेप में अपना निर्णय सुना चुकी है ।एम एस पी के साथ छेड़छाड़ नहीं की जायेगी जैसे है वैसे ही रहेगी ।
किसानों का एम एस पी को लेकर निजी क्षेत्र में भी अनिवार्य रूप से लागू करने के लिए लिखित स्वीकृति के लिए आन्दोलन कर रहे हैं यदि कोई व्यापारी किसानों की फसल व्यापार करने के उद्देश्य से खरीदता है तो व्यापारी एम एस पी के मूल्य से नीचे खरीद नहीं होनी चाहिए ।
सरकार को किसानों की बातें सुनकर ही बीच का रास्ता निकालना चाहिए जिससे सार्वजनिक स्थानों पर हो रहे प्रदर्शन बन्द हो ओर आम आदमी अपनी जीवन की दिनचर्या को पुनः सुचारू रूप से शुरू कर सके ।
कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट के रोक के बाद भी किसानों का आंदोलन जारी रहेगा।