उन हवाओं के झोंको को कैसे भूलें

दैनिक दृश्य

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उन हवाओं के झोंको को कैसे भूलें ,

जो बना गये जीवन को बगिया ,

फूलों को उसमें उगा गये ,

फिर फूलों की तरह हमको  ,

महकना  हमको सीखा गये बनकर जो सतरंगी इन्द्रधनुष , बेरंगी जीवन में उतरकर ,

जिन्दगी को रंगीन बना गये ।

बनकर आए तुम सब ,

हमारे जीवन में अवतार लिया , उदासी में डूबे हुए रहते ,

हंसी का उपासक बना गये ,

हर जीत मुकम्मल हो जाएगी ,

सपने देखने की इच्छाशक्ति जगा गये ,

डरना क्या इस दुनिया से ,

हिम्मत का फौलादी बना गये।

हर अन्धकार की कीमत को ,सुबह की रोशनी की किरण चुका लेगी ,सब्र से रात को गुजरने दो ,

अन्धकार में भी चलना हमको सीखा गये ,

जीवन में जब-जब रात हुई ,तब तब कोई साथ नहीं ,

उस क्षण के भी तुम साथी थे ,

हर पल का साथ निभा गये।कब मिलेगा ना जाने साथ तुम्हारा ,

जो साथ मिला अनमोल रहा ,ना सगा था ना सोतेला था ,वो रिश्तों का घर सच्चा था ,

आबाद रहो खुशहाल रहो , हर ग़म से तुम अनजान रहो , जीवन में सबको मिले सफलता , राहों को हमारी सफल तुम बना गये ।

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SHAHANAJ KHAN

शहनाज़ खान दैनिक दृश्य की सह-संस्थापक एवं सम्पादक है इन्हें लिखने का शौक है। अपनी कविताओं को भी जल्द ही आप तक पहुंचाने का प्रयास करुंगी। धन्यवाद

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