अभी मेरी उम्र बाल्यावस्था से युवा अवस्था में प्रवेश करने ही वाली थी कि मुझे वैवाहिक जीवन के जटिल सम्बन्धों में बांध दिया गया। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी शादी इतनी जल्दी हो जायेगी।वो भी मुझसे बिना प्रतिक्रिया लिए खैर मैं अपने जीवन का लुत्फ लेता रहा। समय अपनी चाल चलता रहा और मैं अपने हिसाब से चलने की कोशिश करता रहा।
अपने जीवनकाल में मैंने अनगिनत उतार चढ़ाव देखने को मिले उन सभी को रोते हुए तों कभी हस्ते हुए उनको झेलता रहा। अपने आपको उठाने की कोशिश करता रहा। मुश्किल समय मेरी हरबार टांग खिंचाई कर जाता मैं सहन कर लेता। फिर नयी उम्मीद को जगाने की कोशिश करता। उम्मीद के दिये को मैंने कभी बुझने नहीं दिया। हरबार आने वाली मुसिबतों से कुछ ना कुछ सीखने को मिला।