
कहाॅं गये हमारे साथी ,
क्या उन्हें कैद किया , या आयी परेशानी ।
एक चिड़िया पंख फड़फड़ा कर ,बैठ गई मेरे पास , पूछा कहाॅं गये वो मतवाले , कहाॅं हैं उनकी हरी-शाख ।
आयामयूर निराश होकर , बोला क्या करूॅं मैं अब पंख बिखेरे नाच रहा हूं , बादल ना आए मेरे घर।
कृषिसूखी देख वहां ,रोया किसान खेतों में ,क्यों आधुनिकरण ने , मुझ पर ऐसा जुल्म किया।
रोयी कोयल मन ही मन ,अब कहाॅं बैठ मैं गाऊॅं गीत , डाली-डाली सूक गयी , वातावरण की चमक मीत ।
सहस्त्र बालक मेरी आंखों में , छवि बनकर आए आज ,पूछ रहे हैं बार बार ।
वो मुझसे एक सवाल , विटप कहाॅं और उन पर झूला ,कहाॅं हमारा सावन आज़ , प्रदुषण की हवा ने , किया है हम पर बहुत प्रहार , सून्दर ठोस निर्मल धरा ,
हुई आधुनिक चमक से वीरान ,धरती रो-रो करे पुकार ,सींच वृक्ष करो मेरा श्रृंगार।
कब हुआ था वोट डालने का अधिकार १८ वर्ष।
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