पंचायत चुनाव मुफ्त खोरी की भेंट चढ़ गया है।

पंचायत चुनाव मेंं अंगूठा छाप नहीं लड़ेंगे ।

यूपी पंचायत चुनाव में अंगूठा छाप नहीं लड़ेंगे चुनाव ।

पंचायत चुनाव मुफ्त खोरी की भेंट चढ़ गया।

पंचायत चुनावों में आज से पहले ऐसी स्थिति नहीं देखी जैसी अबकी बार पंचायत चुनावों में देखने को मिल रही है। पंचायत चुनावों में मुफत खोरी अपनी चरम सीमा पर है। जिसका परिणाम बहुत ही निम्न स्तर का होगा।

पंचायत चुनावों में मुफत खोरी इस कदर अपनी चरम सीमा को पार कर रही है। मानो मई-जून के महीने में दोपहर का तापमान अपनी सीमा को पार कर जाता है। प्रत्याशी अपने आप को धनवान साबित करने में लगे हुए हैं। पंचायत चुनावों में चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी अपने आप को धनवान होने का नागरिकों को परिचय करा रहे हैं ।

इनके द्वारा बांटे जा रहे मद्यपान व्यंजक इस बात के परिचायक हैं। पंचायत चुनावों में धन की बर्बादी इस कदर हो रही है जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की थी। पंचायत चुनावों को प्रत्याशियों ने गंदगी का ढेर बना कर रखा है जहां सिर्फ मक्खियां ही भिनभिना रही हैं। इन मक्खियों को यह गंदगी सिर्फ पंचायत चुनावों के परिणाम तक ही चाटने को मिलेगी।

इसके बाद इनको इस गंदगी के ढेर से सिर्फ लत्यारे ही मिलेंगे। पंचायत चुनाव के परिणाम के बाद इन भिन्न-भिन्न आती मक्खियों के भविष्य का क्या होगा यह तो भविष्य के कोख में है।

पंचायत चुनावों में प्रत्याशी वोटरों को रिझाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं। वोटरों को रिझाने के लिए हर वह हथकंडा अपना रहे हैं जिसकी कभी कल्पना भी ना की गई हो। पंचायत चुनावों में इस तरह के आडंबर कभी ना देखने को मिले जिस तरह पंचायत चुनाव आज की स्थिति में है। पंचायत चुनावों में प्रत्याशियों द्वारा हर वह गंदा खेल खेला जा रहा है जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की होगी।

पंचायत चुनावों में प्रत्याशियों द्वारा मिठाइयां पकवानों से लेकर मांस मदिरा तक का खुलेआम वितरण किया जा रहा है। इस वितरण प्रणाली में धनवान तो से हंसकर सहन कर जाएगा परंतु निम्न वर्ग का प्रत्याशी कर्ज के तले दबकर रह जाएगा।

कहते हैं इतने पांव पसारिए जेती लंबी सौर पंचायत चुनावों में कुछ प्रत्याशी इस कहावत से इतर कार्य कर रहे हैं। पंचायत चुनावों में प्रत्याशियों द्वारा चल रही इस वितरण प्रणाली को देखकर तो ऐसा लगता है कि कोई आम इंसान पंचायत चुनावों में प्रत्याशी बनने का साहस ही नहीं कर पाएगा जिस भी हो रचना के साथ पंचायत चुनाव लड़ा जा रहा है इसके परिणाम आने वाले समय में बहुत ही गंभीर होने वाले हैं।

ग्राम पंचायत में हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में ग्राम प्रधान  का शेरा किसी एक उम्मीदवार के सर पर सजेगा अन्य उम्मीदवार को हार कर अपने घर बैठना पड़ेगा हारने के बाद उनकी क्या रणनीति होगी वह क्या करेंगे। पंचायत चुनावों में हारा हुआ उम्मीदवार 5 साल तक चुनावों का इंतजार करेगा। परंतु इस बात की कोई गारंटी नहीं की अगली बार आरक्षण के पक्ष में हो या किसी अन्य वर्ग के पक्ष में भी जा सकता है। पंचायत चुनावों में पैसा इस कदर खर्च किया जा रहा है जो एक नई मुसीबत को जन्म देने की और इशारा कर रहा है।

 

इन बेवड़ी मक्खियों का इस बात से कोई लेना-देना नहीं कि आने वाले समय में यह खर्च किया गया रुपया कहां से रिकवर होगा।

ग्राम पंचायत के चुनावों में कितना खर्च हुआ इसका आकलन किसी एक ग्राम पंचायत द्वारा चुनावों में प्रत्याशियों के द्वारा किए गए खर्च का अवलोकन करके किया जा सकता है। के हारे हुए प्रत्याशी द्वार कितना खर्च किया गया यह जीते हुए उम्मीदवार द्वारा कितना खर्च किया गया इस खर्चे का ब्यौरा शायद ही कोई दे और ना दे पाने की उम्मीद है फिर भी अनुमानित किया जा सकता है इस खर्चे का आकलन लाखों में निकल कर आएगा।

पंचायत चुनावों में प्रत्याशियों द्वारा अंधाधुंध किए गए खर्च के पैसे को किसी शुभ कार्य में लगाया जाता तो शायद ग्राम पंचायत की दशा और दिशा कुछ और ही होती।

पंचायत चुनाव गांव की किसी अहम मुद्दे पर नहीं बल्कि मूछों के मुद्दे पर लड़ा जा रहा है खर्चे को देख कर तो ऐसा ही अनुमान लग रहा है।

 

ग्राम पंचायत चुनावों में हो रहे अंधाधुंध खर्च इस बात का परिचायक है कि आने वाले समय में एक नया भ्रष्टाचार का जन्म उत्सव मनाया जा रहा है इस उत्सव में ग्राम पंचायत का हर वह नागरिक शामिल है जिसने प्रत्याशी के द्वारा बांटे जा रहे मदिरा, मिष्ठान फलाहार आदि का सेवन किया है।

 

इन सभी कमियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है क्योंकि ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार के मुख्य जड़ यहीं से शुरू हो जाती है। इसे रोक पाना बहुत ही कठिन हो जाता है। गांव के नागरिक विकास की दुहाई लगाते हैं कि ग्राम प्रधान ने गांव में कोई विकास नहीं कराया क्या इस बात को नहीं देखते कि पंचायत चुनाव के समय प्रत्याशी ने कितना खर्च किया।

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anwar khan

अनवार खान [email protected] दैनिक दृश्य के सम्पादक हैं ये अपने अनुभव से देश दुनिया में हो रही सामाजिक व्यवस्था अव्यवस्था को अपने शब्दों में लिखकर वेब पोर्टल पर प्रकाशित करते हैं। केवल सच्ची खबरें, कहानी, किस्से, यात्राओं के विरतान्त, आंखों देखी घटनाओं को अपने शब्दों में, क्या हुआ, कहा हुआ,कब हुआ, कैसे हुआ, किसने किया आदि विन्दुओ पर अपने विचार, टीका टिप्पणी और संदर्भ में भी लेखन करते हैं।

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