
आज एक सुखे वृक्ष को देख कर मुझे जो अनुभव हुआ शायद वो कल्पना से परे है।समय के बलवान होने का प्रत्यक्ष प्रमाण है।वो ईश्वर जिसे चाहे पल में गिरा दे और जिसे चाहे पल में ऊंचा उठा दे।
आपने सुना होगा कि समय के बदलते देर नहीं लगती।समय बड़ा बलवान होता है।वह पल पल में सभी के रूप को बदलता रहता है। समय कभी दिखाई नहीं देता मगर दिखा बहुत कुछ देता है। इस लिए बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि कभी अच्छे समय पर घमंड मत करो और बुरे समय में धैर्य मत खोओ ।
प्रकृति के आंचल में उगा एक वृक्ष जो मुझे प्रेरणा दे गया। कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों लेकिन हमें सदैव अपने शाश्वत कर्मों को करते हुए अपना जीवन जीना चाहिए। बाकी ईश्वर संभाल लेंगे।
एक नीम का वृक्ष था। अपने हरे भरे पत्तों के आवरण में ढका हुआ, लोगों को अपनी शीतलता से तरोताजा कराता।लोग उस वृक्ष के नीचे बैठकर वयार का आनन्द लेते। पक्षियों का कोलाहल रहता । मानों वह उन सबको कुछ देकर स्वयं को धन्य समझता। जीवन की सार्थकता ही तभी होती है जब हम किसी दूसरे के काम आ सकें।
लेकिन कहते हैं समय का घोड़ा बहुत तेज दौड़ता है। कुछ समय उपरांत किसी कारण वश वह वृक्ष सुखने लगा । पहले तो उसके सारे पत्ते झड़ गए। मालिक को लगा शायद दोबारा से किल्लियां फूटकर आएंगी और फिर से ये वृक्ष नवीन हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ ? वृक्ष बाहर से ऐसा लगने लगा मानो किसी रोज़ वह स्वयं गिरकर नष्ट हो जाएगा।
मालिक ने विचार किया क्यों ना इसे कटवा दिया जाए ? उस वृक्ष को काटने के लिए उस वृक्ष के नीचे से मिट्टी खोदी जाने लगी।इतने में ही कुछ आवश्यक कार्य आन पड़ा और वृक्ष काटने का कार्य अधूरा ही रह गया। लेकिन कहते हैं ना पल में हवाएं पूरब से पश्चिम होतीं हैं । अगले ही कुछ दिनों में उस वृक्ष में बदलाव दिखाई देने लगा। देखते हैं वृक्ष की टहनियों पर पत्तों के हरे लाल कुंठ आने लगें।
कहानी से सीख—- परिस्थितियां चाहे जैसी भी हो हमें उस परमात्मा पर विश्वास रखना चाहिए। यदि हमारे कर्म अच्छे हैं तो संसार की कोई शक्ति या समस्या आपका अस्तित्व नहीं मिटा सकती।
Overview