
बुलंदशहर की सियासत फुटबॉल का मैदान और यहां के नेता फुटबॉल बन रहे हैं। कांग्रेस भाजपा बसपा सपा आरएलडी के नेता चिकने लोटा बने हुए हैं।
कांग्रेस के नेता आर एल डी में पहुंच गए, भाजपा के नेता सपा में,सपा के भाजपा में, भाजपा के बसपा में, बसपा के सपा सपा के बसपा में
बदले नही है तो यहां के हालात नेता और नतीजा यहां के जस के तस बने हुए हैं, सरकारें बदलती रही है, यहां के नेता अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को पुरा करने के लिए पार्टी बदलते रहते हैं परन्तु बदले नही है तो यहां के हालात। हमें अगर हालात बदलने हैं तो हमें नेता चुनने के नजरिए को बदलना होगा। अगर आपको अपने क्षेत्र के हालात को बदलना है तो बुलंदशहर की जनता जनार्दन को सियासत को फुटबॉल का मैदान में बने फुटबॉल नेताओं को किक मारना होगा।
बुलंदशहर में सियासत ठेकेदारी प्रथा की भेंट चढ़ी हुई है, यहां के नेता सिर्फ अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को पुरा करने के लिए पार्टी बदलते है कभी भी चुनावी मौसम से पहले अपने क्षेत्र का हाल जानने को नहीं जाते जैसे जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं नेताओं ने क्षेत्र में जनसमपर्क शुरू कर दिया है।
निवर्तमान विधायक हों या पुर्व विधायक, निर्दलीय उम्मीदवार हो या फिर हारा हुआ उम्मीदवार फिर से अपने अपने क्षेत्रों में डेरा जमाएं हुए हैं जनता के साथ फोटो खींच कर अपने सोसल मीडिया पर पब्लिश कर रहे हैं ताकि उनके जन सम्पर्क को देख कर उनके आका सायद उन्हें उम्मीदवार घोषित कर दें।
बुलंदशहर में सात विधानसभा हैं सभी विधानसभाओं में हालात बेहद ही बदहाल है
इससे किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला बेहतर है पार्टी, व्यक्ति की विचारधारा से बाहर निकलकर समय रहते क्षेत्र की समस्याओं पर कुछ बेहतर किया जा सकता है। अन्यथा आने वाले समय मे स्थिति और अधिक विकराल रूप धारण करेगी।
राष्ट्रीय पार्टियों से बाहर निकल कर स्थानीय मुददों को तवज्जो देनी होगी तथा नेताओं की नीति क्या है इसपर केंद्रित विमर्श करना होगा। इतनी बड़ी विडम्बना को देखते हुए दुःख होता है कि हम सभी लोग राजनीति को सही दिशा देने में नाकाम है। नेताओं की इतनी बड़ी फौज केवल ठेकेदारी तक सीमित रह गई। नेतृत्व पैदा नहीं होने देना भी एक बड़ा सवाल है।
यह भी सवाल उठता है कि नेता भी तभी ईमानदार निकलेंगे जब जनता भी अपनी ईमानदारी दिखाये। हमें यदि अमेरिका जैसी सुविधाएं चाहिए तो वहां जैसी वैचारिक जनता का भी निर्माण करना होगा क्योंकि नेता भी इसी समाज का हिस्सा हैं। जनता नोट के बदले वोट देगी तो नेता भी भ्रष्ट निकलेंगे तथा विकास के नाम पर केवल ठगी होगी।