मंहगाई डायन खाये जात है। मंहगाई को रोकने के उपाय? मंहगाई कैसे रोकें। मंहगाई कब रुकेगी। मंहगाई से कैसे बचें। मंहगाई से बचने के उपाय। मंहगाई क्यों बढ़ रही हैं? मंहगाई की मार_आम आदमी बेकार।

मंहगाई

मंहगाई डायन खाये जात है। मंहगाई को रोकने के उपाय? मंहगाई कैसे रोकें। मंहगाई कब रुकेगी। मंहगाई से कैसे बचें। मंहगाई से बचने के उपाय। मंहगाई क्यों बढ़ रही हैं? मंहगाई की मार_आम आदमी बेकार।

मंहगाई ने हर वर्ग को अपने जाल में फंसाकर रखा है। मंहगाई को रोकने के लिए हमें किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए। मंहगाई को कैसे रोका जाए। मंहगाई कैसे रुकेगी। मंहगाई क्यों नहीं रुक रही। मंहगाई क्यों बढ़ रही है। मंहगाई बढ़ने से किन क्षेत्रों में अत्यधिक प्रभावित हुए हैं। मंहगाई से राहत कैसे मिले। मंहगाई क्यों बढ़ रही है। मंहगाई कौन बढ़ा रहा है। मंहगाई कब तक रहेगी। मंहगाई रोकने के उपाय।

मंहगाई ने हर दौर में अपने रुप दिखाये हैं। चाहे वह आजादी के पहले का समय रहा हो या आजादी के बाद का समय रहा हो। सत्ता में विराजमान रहीं सरकारें इस मंहगाई को रोकने में असफल ही रही हैं।

मंहगाई को रोकने के लिए या महंगाई दर को स्थिर रखने के लिए सत्ता में विराजमान सरकारों के पास कोई बुनियादी उपाय नहीं रहे।

विपक्ष में बैठने वाली पार्टियों ने भी महंगाई को मुद्दा बनाकर सत्ता में विराजमान होती रही है। मंहगाई को मुद्दा बनाकर सत्ता की महत्वकांक्षा रखने वालों से किसी ने ये नहीं पूछा कि आप महंगाई को कम करने के लिए किया रणनीति आपनायेंगें?

बस ये भोली भाली जनता तो भ्रामक प्रचार के जुमलों के जूनून में बह जाती है। मुर्ख बनाने वालों के साथ ही जुड़कर चिल्लाने लगती है, बहुत हुई महंगाई की मार_अबकी बार_______———की सरकार।

मंहगाई से आम जनता ही पीसी जाती है। मंहगाई को रोकने के लिए हमें क्या करना चाहिए। मंहगाई को कैसे रोका जा सकता है। मंहगाई से कौन कौन परेशान हो हो चुका है। मंहगाई क्यों बढ़ रही है। मंहगाई को रोकने के किया उपाय हो सकते हैं। मंहगाई पर कैसे काबू पाया जा सकता है।

मंहगाई से जुड़े इन अहम सवालों के जवाब ढूंढने के बजाय सत्ता में विराजमान पार्टी व उनके लोग सिर्फ आरोप प्रत्यारोप में उलझे नज़र आते हैं। इसके लिए तो वह जिम्मेदार है, इसके लिए भी वही जिम्मेदार है।

आपके लिए भी तो जिम्मेदारी का हिस्सा सौंपा गया है क्या आप अपने जिम्मेदारी को निभाने में नाकाम हो। आप भी एक जिम्मेदार हैं इस मंहगाई को बढ़ावा देने में।

मंहगाई को रोकने के लिए हमें एक जुट होकर कुछ जिम्मेदारियां समझनी होंगी।एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने से मंहगाई की मार से नहीं बचा जा सकता है। हमें अपनी सोच बदलनी होगी।

अब हमें अपनी सोच में सकारात्मक परिवर्तन करने होंगे।

बहुत हुई महंगाई की मार, इसके हम ही तो हैं जिम्मेदार।

मंहगाई ना होगी हम पर हावी, इसे रोकने की है एक चाबी।

आओ मिलकर करेंगे बार, महंगाई को करें देश बहार।

 

मंहगाई काबू कैसे करें?

मंहगाई को रोकने या उसे बढ़ने से रोकने के लिए हमें अपने आप को बदलना होगा समाजिक तौर पर। हमें अपने अहम मुद्दों पर ही ध्यान रखना होगा। हमें अपने मुद्दे से विमुख नहीं होना है। सामाजिक सदभाव बनाने होंगे।एक दूसरे को सहयोग करना होगा।

तभी महंगाई पर प्रतिबंध लगाने में सफलता हासिल होगी। अगर हम सामाजिक मुद्दों से भटके तो महंगाई के जाल में अटके।

मंहगाई नहीं महंगाई एक अभिशाप बन गई है। मंहगाई को रोकने के लिए संयुक्त अभियान चलाने होंगे।इस मंहगाई को रोकना होगा बरना यह महंगाई अमीरों को और अमीर कर देगी।

 

मंहगाई को रोकने के लिए सामाजिक एकजुटता की जरूरत है। मंहगाई को रोकने के लिए सामाजिक एकजुटता से कार्य करने होंगे। मंहगाई को रोकने के लिए अपने दैनिक जीवन में परिवर्तन करने होंगे। मंहगाई को तभी रोका जा सकता है।बरना महंगाई समाज को अपने बोझ तले दबा कर मार लेगी। मंहगाई को बढ़ने से रोकने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक महत्व देने की आवश्यकता है।

मंहगाई को काबू करने में ग्रामीणों का अहम भूमिकाएं निभा सकते हैं।

मंहगाई जब भी बढ़ी शहरी क्षेत्रों को ज्यादा प्रभावित किया है। मंहगाई को रोकने के लिए कृषि क्षेत्रों में अत्यधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

मंहगाई को रोकने में कृषि उपजों को बढ़ावा देने के लिए और अधिक महत्व देने की आवश्यकता है। मंहगाई को रोकने के लिए कृषि क्षेत्र में कुछ परम्परागत तरीके और कुछ आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से मंहगाई पर काबू पाया जा सकता है।

मंहगाई क्यों बढ़ रही है।

मंहगाई को बढ़ने का मुख्य कारण समाज में उपभोग की जाने वाली वस्तुओं का अत्यधिक दोहन। मंहगाई को बढ़ने का एक मुख्य कारण यह भी हो सकता है “जब किसी वस्तु के उत्पादन से अधिक उपभोक्ता हों और उस वस्तु की उत्पादन क्षमता कम हो रही हो,तो भी महंगाई बढ़ती है।

मंहगाई के बढ़ने के कारण समाज में असंतोष फैल रहा है। जन्म-दर का दिन प्रतिदिन बढ़ना भी महंगाई को बढ़ने में महत्वपूर्ण बिंदु है।

मंहगाई कैसे रुकेगी? मंहगाई को कैसे रोका जाए।

मंहगाई को रोकने के लिए हमें कुछ सामाजिक एकजुटता दिखानी होगी तब भी महंगाई को काबू किया जा सकता है। सामाजिक परिवर्तन करने से ही महंगाई को काबू किया जा सकता है। मंहगाई को रोकने के लिए सामाजिक परिवर्तन बहुत जरूरी है। मंहगाई को रोकने के लिए समाज के अंदर त्याग करने की भावना उत्पन्न करनी होगी। तभी महंगाई पर काबू किया जा सकता है।बरना महंगाई दिन प्रतिदिन बढ़ती ही रहेगी। मंहगाई को रोकने के लिए हमें जनसंख्या वृद्धि को रोकने जैसे कठोर कदम उठाने होंगे। तभी महंगाई पर अंकुश लगा सकते हैं। मंहगाई पर अंकुश लगाने के लिए हमें कुछ कठोर कदम उठाने चाहिए। मंहगाई को रोकने के लिए हमें अपने दैनिक जीवन में परिवर्तन करने होंगे अन्यथा महंगाई दिन प्रतिदिन बढ़ती ही रहेगी। मंहगाई को रोकने के लिए हमें अपने दैनिक उपभोग में आने वाली वस्तुओं जैसे अनाज, दालें,हरि सब्जियों, मसाले आदि की क्षमता कम लागत में अधिक उत्पादन करने होंगे।

मंहगाई को रोकने के लिए कृषि क्षेत्रों में अत्यधिक महत्व देने के लिए कृषकों को साथ लेकर चलना होगा। मंहगाई को रोकने में कृषक अपनी अहम भूमिका निभा सकता है।कृषक बंधु को कुछ जरुरी सहायता पहुंचाई जा कर महंगाई को रोकने में मददगार साबित हो सकतीं हैं।

कृषक की बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध करा कर कृषि क्षेत्रों में अत्यधिक उपज कराई जा सकती है इसके लिए हर नागरिक को कृषक बनना होगा।जब देश का हर नागरिक कृषक होगा तो वह अपनी दैनिक उपभोग की वस्तुओं को उगाकर अपनी जरूरतों को पूरा कर सकेगा।जिस प्रकार छात्र अपने जेब खर्च करने के लिए पार्ट टाइम नौकरी करता है ठीक उसी प्रकार देश के हर नागरिक को पार्टटाइम कृषक बनना पड़ेगा। तभी महंगाई पर अंकुश लगाने में सफलता प्राप्त हो सकती है।

 

 

 

 

 

 

अब आपके अन्दर एक सवाल उठ रहा होगा इससे तो कुछ हासिल नहीं होगा? मैं इस बात को लेकर दाबा कर सकता हूं यदि यह प्रयोग करके हम देख लें और हम सफल हो गये तो महंगाई पर अंकुश लगा ही सकते साथ ही अपनी आमदनी में अद्भुत वृद्धि भी हो सकती है। देश महंगाई से मुकाबला करना चाहता है तो देश के प्रत्येक नागरिक को कृषक बनना ही पड़ेगा। तभी महंगाई पर अंकुश लगाने में सफलता प्राप्त हो सकती है।

 

मंहगाई पेट्रोल, डीजल, एलपीजी गैस के दामों में बढ़ोतरी से नहीं बल्कि हमारी सोच के कारण महंगाई बढ़ रही है।

 

हम महंगाई को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर सकते हैं परन्तु महंगाई को काबू में करने के लिए कुछ कर नहीं सकते। सत्ता में विराजमान होने के लिए लालयित लोगों के वहकाबे में आजाते है सड़कों पर उतर कर राजनीति के प्रपंचों में फस कर रह जाते हैं। हमने महंगाई को लेकर कब जागरूक हुए, एलपीजी सिलेंडर के दामों में बढ़ोतरी हुई पहुंच गये सलैण्डर उठकर सड़कों पर हो गये राजनीति से प्रेरित करने लगे प्रदर्शन लगाने लगे सत्ता की महत्वकांक्षा रखने वाले लोगों के साथ नारे।

 

बहुत हुई महंगाई की मार अबकी बार फलाने की सरकार ढिमके की सरकार। जुमलों से अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को पुर्ण किया जा सकता है परन्तु महंगाई पर अंकुश नहीं लगा सकते। मंहगाई पर अंकुश लगाने के लिए सामाजिक जिम्मेदारियों को ध्यान में रखकर योजनाओं को बनाया जाता है फिर उन्हें अमल में लाने के लिए धरातल पर लागू कराने के लिए कार्य करने पड़ते हैं।

 

पहले महंगाई दर में वृद्धि हुई तो तत्कालीन सत्ता में विराजमान सरकारों के खिलाफ वर्तमान में सत्ता में विराजमान सरकार के लोगों ने मंहगाई को मुद्दा बनाकर प्रदर्शन किये थे।आज फिर डीजल पेट्रोल एलपीजी के दामों में वृद्धि हुई तो विपक्ष में बैठने वाले उसी प्रकार के फोरमूले को अपना रहे हैं। मंहगाई से राहत मिले इसकी उम्मीद इन दिनों इन वर्तमान नेताओं से तो करो ही मत ये नेता पार्टी बदलते है अपनी नियत नहीं। इनकी नियत अनीति करने की रही है।ये आम आदमी को भरोसे में लेकर अपने उल्लू सीधा करते हैं इन्हें महंगाई से कोई लेना-देना नहीं। इसलिए देश के प्रत्येक नागरिक को यह समझना होगा कि ये नेता अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। परन्तु महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए इनके पास कोई ठोस रणनीति नहीं है।

 

मंहगाई से राहत पाने के लिए हमें कुछ नये तरीके अपनाने होंगे, सामाजिक एकजुटता दिखानी होगी। रुढ़िवादी सोच को बदलना होगा आपसी मतभेद त्यागने होंगे। मिलकर कार्य करने होंगे। समाजिक सदभाव बनाने होंगे। मंहगाई से राहत पाने के लिए देश के प्रत्येक नागरिक को पार्टटाइम के साथ फुल टाइम कृषक बनना होगा।

 

मंहगाई

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anwar khan

अनवार खान [email protected] दैनिक दृश्य के सम्पादक हैं ये अपने अनुभव से देश दुनिया में हो रही सामाजिक व्यवस्था अव्यवस्था को अपने शब्दों में लिखकर वेब पोर्टल पर प्रकाशित करते हैं। केवल सच्ची खबरें, कहानी, किस्से, यात्राओं के विरतान्त, आंखों देखी घटनाओं को अपने शब्दों में, क्या हुआ, कहा हुआ,कब हुआ, कैसे हुआ, किसने किया आदि विन्दुओ पर अपने विचार, टीका टिप्पणी और संदर्भ में भी लेखन करते हैं।

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