राहे वफ़ा

राहे वफ़ा 

वफ़ा का रास्ता देकर मोहब्बत आज रोती है 
मोहब्बत चीज क्या यारो पता किसी को होती है 
मेरे भी साथ हुई खिलबाड एक परदेश में 
वेवफ़ा भूल गई हमको निगाहें साफ़ कहती है
वफ़ा का रास्ता देकर मोहब्बत आज रोती है 
मोहब्बत चीज क्या यारो पता किसी को होती है 
समझ कर अपना जिसको हाले दिल कह डाला 
दगावाज तोड़ गई दिल को मन में ये खीज होती है 
वफ़ा का रास्ता देकर मोहब्बत आज रोती है 
मोहब्बत चीज क्या यारो पता किसी को होती है 
मोहब्बत तोहफा है दिल का इसे स्वीकार कर लेना 
समझकर प्रेम की तस्वीर इसे दिल में रख लेना 
प्रेम के सागर की यही तफसीस होती है 
मोहब्बत चीज क्या यारो पता किसी को होती है 
तराने तेरे वेताब सभी के दिल में छाये है 
तरन्नुम साथ में रखकर अनवर भी आये हैं
सजा जो प्यार की पाई वो अब माफ होती है

वफ़ा का रास्ता देकर मोहब्बत आज रोती है
मोहब्बत चीज क्या यारो पता किसी को होती है 

Dainik Dirashya Bulandshahr

इन्टरनेट का दौर 

लगता है जिन्दगी इन्टरनेट हो गई
वो आज हमको छोड़ कर कहीं और सैट हो गई

पिछले साल से ही तो फेसबुक चैट हो रही
डेटा खर्च करते-करते मेरी जेब हेट हो रही
फिर भी मेरी चाह वहाँ वेट हो गई

लगता है जिन्दगी इन्टरनेट हो गई

महीने की सारी कमाई चैटिंग गई
दादेलाई सम्पत्ति सब सेटिंग में गई
मोहब्बत का जो आज कोल किया वो भी लेट हो गई

लगता है जिन्दगी इन्टरनेट हो गई

काश वो हमारे शब्दों को तरजीह दे देते
प्रेम के दो शब्द अनवर भी कह देते
ऐसे ही शब्दों से जिन्दगी सर्वश्रेष्ठ हो गई

लगता है जिन्दगी इन्टरनेट हो गई।

रट्टू तोता ।

मैं रट्टू तोता हूँ ,रटना मेरा काम नहीं।
अपनी सिखवत पास रखो ,ये कोई इम्तहान नही।
सुबह-सुबह की बात बताऊँ एक कौआ आया घर पे
मुझमें ऐसी कमी क्या जो ये दुनिया मुझपे भड़के
मेरा स्वर कसरीला है तो इसमें मेरा क्या दोष।
सब मुझको टरकाते है फिर भी मैं हूँ खामोश।
मुझ पर जो विश्वास करो तुम ऐसे इन्सान नहीं।
मैं रट्टू तोता हूँ रटना मेरा काम नहीं
भरी सभा में इज्जत लूटें उनको सरपंच बना डाला
सरपंची का राग ना जाने फिर ये प्रपंच रचा डाला
अब सूखी डाली पर क्यूँ तुम पत्ते हरे उगाते हो
खाके दूध मलाई को तुम उसमें ज़हर बताते हो
थूक ताक के उसे चाटना ये मेरा ईमान नहीं
मैं रट्टू तोता हूँ रटना मेरा काम नहीं
विश्वास के धागे क्यूँ टूटे ये तुमको बतलाता हूँ।
बिखरे मोती कैसे बीने ये तुमको समझाताहूँ।
जो मोती को जोड़े रख्खे धागा वही कहलाता है।
बिखरे मोती जोड़ दिये ये विश्वास कहलाता है।
धागे की जो कीमत जाने बो कोई बेईमान नहीं।
मैं रट्टू तोता हूँ रटना मेरा काम नहीं।
अस्सी सौ की उम्र आ गई सिर पर बनीं सफेदी है।
घर की बातें मन में रखले वरना लंका भेदी।
सोच समझ कर कदम उठाओ  आगे कुआ खाई है।
बो किस्मत वाला है जिसके पास बहन ओर बड़ा भाई है।
आपस में तुम बिखरे डोलो ये घर की कोई शान नहीं।
मैं रट्टू तोता हूँ रटना मेरा काम नहीं।


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