
उत्तर प्रदेश के जिला हापुड़ के गांव आरिफपुर सरावनी से एक दहेज से पीड़ित बिटिया का मामला सामने आया है। जिसमें बताया जा रहा है कि बिटिया को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था।
जिसमें ससुराल वालों ने लड़की से सात लाख रूपयों की मांग की। परन्तु परिवार जन दहेज की मांग को पूरा ना कर सके तो उन्होंने बिटिया को बेरहमी से पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया।
उत्तर प्रदेश के जिला हापुड़ के गांव आरिफपुर सरावनी की बिटिया की शादी लगभग 3 साल पहले उत्तर प्रदेश जिले के डिबाई में हुई थी। परिवार जनों के मुताबिक बिटिया पर दो बच्चे भी हैं जो अब बिन मां के हैं।
बताया जा रहा है बुधवार के दिन ससुराल वालों ने बिटिया को पीट-पीटकर बेहाल करके उसे उसके मायके में सड़क पर ही फेंक गए। जैसे ही परिवार जनों को सूचना मिली वह अपनी बिटिया को अपने घर ले गए। लेकिन गुरुवार की सुबह 8:00 बजे बिटिया ने दम तोड़ दिया।
हमारे देश- प्रदेश में आखिर कब तक दहेज की दानवो का निवाला बनती रहेंगी बेटियां? “बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ” बड़ा ही खूबसूरत स्लोगन है ये। यदि कोई गैर भारतीय यह स्लोगन सुनता होगा तो वह बड़ा ही प्रफुल्लित होता होगा। कि भारत सरकार तो बड़ी ही तेजी से इस पर कार्य कर रही है। लेकिन अंदर की वास्तविकता कौन जाने?
आए दिन उत्तर प्रदेश क्या पूरे देश में दहेज के लिए हत्याएं , प्रताड़ित करना ,बलात्कार जैसी गंभीर समस्याएं अपना विकराल रूप धारण करती जा रही है। इन समस्याओं पर गंभीरता से सोचने की ही नहीं वरन् गंभीरता से कार्यवाही करने की भी जरूरत है।
आप तो आसानी से कह देते हो कि इन सबके लिए कानून बहुत सख्त है। महिलाओं को बहुत से अधिकार दिला रहा है? महिलाओं को न्याय के क्षेत्र में तो बहुत प्रगति की है?मैं प्रशासन से नाराज नहीं बल्कि हैरत में हूं। प्रशासन और कानून अभी तक भी इन गंभीर मामलों में अपाहिज है ।
आप उन लोगों के बारे में एक बार सोच कर देखो जो आर्थिक रूप से कमजोर ही नहीं, बहुत कमजोर हैं। न्याय प्राप्त करने के लिए कचहरी में जाना पड़ता है और वहां जाने के लिए अर्थ की भी जरूरत होती है।
आप दिला सकते हैं उन लड़कियों के लिए न्याय जिनके पास अपनी जरूरतों तक को पूरा करने के लिए भी धन नहीं है। कभी मासूम बच्चियों के साथ दरिंदगी, तो कहीं दहेज के दानों के लिए बेटियों की बलि। कब तक चलता रहेगा ऐसा। आप प्रदेशों को, जिलों को गोद ले रहे हो। बेटियों को भी गोद लिजिए। उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की ,उन्हें कामयाबी दिलाने की जिम्मेदारी आप लोग लिजिए ।
जब आत्मनिर्भर हो जाएंगी तो कोई भी बेटी ना तो दहेज के दानव की भेंट चढ़ेगी और और नहीं उसे किसी अंधकार का भय होगा। बेटियां हर परिस्थिति से लड़ने में सक्षम होंगी।