
शिक्षा और संस्कारों के अभाव में जी रहा है समाज।
शिक्षा और संस्कारों को एक साथ स्वीकार किया जाये तो समझिए समाज सौभाग्यशाली है।समाज में सुन्दरता सौंदर्य और स्नेह देखने को मिल सकता है परन्तु इनमें से किसी एक का भी अभाव हुआ तो सभ्य समाज की परिकल्पना नहीं की जा सकती है।शिक्षा और संस्कार दोनों ही समाज में रहकर हासिल किए जाते हैं।जिस समाज में शिक्षा और संस्कारों का अभाव हो उस समाज को सभ्य नहीं कह सकते हैं।
आज के दौर में समाज शिक्षित तो है परन्तु संस्कारवान नहीं है।
हमारे समाज में कितने संस्कारित लोग हो सकते हैं इस बात का अंदाजा आप इस बात से लगाया जा सकता है कि लोग कितने संवेदनशील है। कोरोनावायरस की दूसरी लहर में भारत के जाने-माने पत्रकार रोहित सरधना के निधन की खबर जैसे ही सोसल मीडिया पर प्रसारित हुईं तो कुछ लोगों ने मय्यित पर शोक-संवेदना व्यक्त करने का जो अंदाज था वो काफी निंदनीय था।
इससे पहले मशहूर शायर राहत इंदौरी के निधन पर लोगों ने बहुत अशोभनीय टिप्पणियों से नवाजा गया।
अभी हाल ही में बालीवुड के सुप्रसिद्ध अभिनेता दिलीप कुमार के निधन की खबर जैसे ही सोसल मीडिया पर प्रसारित हुईं लोगों ने अपने अन्दर से जो गन्दे शब्दों की उल्टी करनी शुरू कर दी। लोगों ने बहुत अशोभनीय टिप्पणी करने से कोई गुरेज नहीं किया।