
परस्परिक निर्भरता या अन्तर्सम्बन्ध
भोजन के साथ
ये फ़
बेदाग-सारंग , हर बार बेहतर
हो , कोठ हो ,ये कब बबत्लाया
इस ध्वनि का कोई नाम नहीं, अनमोल है, ये भगवान् भगवान्
जब भी स्वादिष्ट हो,तब दिल स्वादिष्ट
हर तरह के प्रदूषण
ना ठीक होने और खराब होने की वजह से
पर्यावरण प्रदूषण
एक नई तकनीकी का, मार्ग
अद्भुत कला मेरे अंदर , तरंगीया
बब-बूंद पानी से
हरी हुई आशा को, फिर जगाया तुमन
विपरीत में भी,हर बार साथ में
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