
। कुछ रंग ।
कुछ रंग आंगन में दे आए , कुछ रंग वहां से ले आए हम थे ही इतने अलबेले , हंसते-गाते हम चले आए
कुछ धूमिल थे कुछ चमकीले रंग , कुछ श्वेत रंग कुछ गहरे थे ,हम हर रंग में खुद को रंग लाए
कुछ रंग नफरत के थे देखें , कुछ में अथाह प्रेम भरा हम दोनों हाथों में रंग लिए, उड़ान वहां से भर लाए
सूखे रंगों की ढेरों में , नयन नीर था मिला दिया मन हो गया हल्का , हम रंग में नीर को ऐसे मिला आए
क्या खास है इसमें , हमको थोड़ा बतला दो तुम इन रंगों के हवनकुंड में , ताकि आहुति हम दे आए
पानी सा चंचल हृदय , कभी इधर कभी उधर चले थम गया आज ये घात लगी , फिर क्यों इसको पिघलाए।
कुछ रंग मौसम से सीखो , कुछ प्रकृति के कणों से मिलकर मिट्टी में , खुद को एक आकार दिलाओ
हर शाम तजुर्बे देती है , कुछ सीख नयी दे जाती है एक शिक्षक ही ये सुबह है , जो खींच नई उम्मीद लाए
हर रंग की अपनी महिमा है, इसको क्यों झूठलाओ तुम हर बात रंज की भूल के हम ,आओ गले मिल जाए