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जहां ख्वाबों का भी समन्दर बहता हो ,
जहां प्रेम की नदियां करें कलरव ,
तिरंगे को करती रहूं मैं सलाम ,
वात्सल्य धरती से हो दिन रात ,
जन्नत के गुण धरती पर हो ,
एकता का भी हो सम्मान हर कदम पर साथी साथ दें ,
ऐसा चाहूं मैं अपना भारत महान।।
एक दूसरे की हम ताकत बनें ,
देखकर एकता, दुश्मन दूर भगें ,
हर रात दिवाली, दिन ईद का हो ,
ऐसा धागा बांधे दिल से दिल का यहां ,
कलम को भी जरूरत दवात की है ,और साथ में जरूरत एक हाथ की है ,
कलम हाथ में लें लिख दें भारत का मान ,
ऐसा चाहूं मैं अपना भारत महान ।
जरूरत पड़े जब वतन को मेरे ,
जिन्दगी को अपनी वार दूं ,देश की अखंडता से बड़ा कुछ नही ,
टुकड़े हुए पन्नों से किताबें बनती नहीं ,
देश के लिए कुछ शब्द नये बुने ,
आ रही है मुसीबत तो कुछ गम नहीं, क्योंकि , डूबता सूरज भी रहता है एकसमान ,
ऐसा चाहूं मैं अपना भारत महान
Tags: हिन्दी साहित्य