शायद ही आए फिर कुछ पैदल चलने दो मुझे को कहीं क़दम वहक ना जाए फिर आज़ के पल पर हक़ मेरा जी लेने दो शायद ही कल आए फिर ये मेरा है ,वो पराया…
Read Moreभारत के शेक्सपियर का दर्शन एक दृष्टि में। हमारा भारत विश्व गुरु कहा जाता है। क्योंकि हमारे भारतीय इतिहास को अनेक प्रचण्ड , प्रतिभाशाली विद्वानों ने प्रकाशित किया है। वेदव्यास , भवभूति , बाणभट्ट,…
Read Moreतुमने लवों को अपने क्यूं बन्द रखा है। तुमने लबों को अपने क्यूँ बन्द रखा है। पाकीजा मोहब्बत पे ये दण्ड रखा है । चाहत हो तुम मेरी ये दुनियाँ को बता दो। क्या है…
Read Moreहम मोहब्बत की समा जलाते रहे ,वो हवाओं के झोके चलाते रहे। बुझा ना सके समां प्यार की, हम ऐसी समां जलाते रहे ऐसी बेरूखी क्यों हमारे लिए ,क्यूँ हमसे बो इतनें नाराज़ हैं। तुम…
Read Moreकह रही गरम हवा मंथन से , कहाॅं गये हमारे साथी । क्या उन्हें कैद किया , या आयी परेशानी । एक चिड़िया पंख फड़फड़ा कर ,बैठ गई मेरे पास। पूछा कहाॅं गये वो मतवाले…
Read Moreकह रही गरम हवा मंथन से , कहाॅं गये हमारे साथी , क्या उन्हें कैद किया , या आयी परेशानी । एक चिड़िया पंख फड़फड़ा कर ,बैठ गई मेरे पास , पूछा कहाॅं गये वो…
Read Moreउन हवाओं के झोंको को कैसे भूलें , जो बना गये जीवन को बगिया , फूलों को उसमें उगा गये , फिर फूलों की तरह हमको , महकना हमको सीखा गये बनकर जो सतरंगी इन्द्रधनुष…
Read Moreमेरे नवनीत स्वप्न , मेरी बंजर भूमि की फसल , ऐसे मुझको मिले तुम हो , मेरे जीवन का आधा हिस्सा तुम हो । मेरे आगे बढ़ने का सफ़र , शुरू और आखिरी मंजिल ,…
Read Moreमौसम चले जाते है फिजाएं छोड़कर । रखतीं हूं जिनसे उम्मीदें चले जाते हैं तोड़कर । जिन्दगी रात की नींद होती है । हम खो देते हैं खुशियां हर रोज़ जानकर। कहानी एक…
Read Moreजहां ख्वाबों का भी समन्दर बहता हो , जहां प्रेम की नदियां करें कलरव , तिरंगे को करती रहूं मैं सलाम , वात्सल्य धरती से हो दिन रात , जन्नत के गुण धरती पर हो…
Read Moreयत्र: नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र: देवता: अर्थात् जहां नारी की पूजा (सम्मान) होता है वहां पर देवता निवास करते हैं, ऐसा नारी के विषय में मनुस्मृति में कहा गया है। पृथ्वी के समान भार गृहण…
Read Morem.facebook/awarkhan78 मोहब्बत मेरी मैदान ए हरा है। ठुकरा ना इसको ये सोना खरा है। परिचित नहीं हो तुम मेरे फन से। रग-रग में मेरे तेरा श्रृंगार भरा है। मोहब्बत मेरी मैदान ए हरा है। ठुकरा…
Read Moreएक हवा चली थी नोटों की हम घर में दीवार बना बैठे। जिस समां को हमने जन्म दिया उस समां से घर को जला बैठे। ख्वाब सजाये थे माँ ने जिस घर को महल बनाने…
Read Moreहार गया तुमको खोकर,जीवन का एक अंश। मन इतना कमजोर हुआ,जो झेल रहा है दंश। पुलकित था मैं तुमको पाकर,हरियाली तीज बनीं। जीवन का अंधकार मिटा कर, जीवन का प्रकाश बनी। छोड़ दिया था जिस…
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