
यूक्रेन में रह कर भारत के अनेकों छात्र छात्राओं ने अपने सुनहरे भविष्य का सपना देखा था। लेकिन रूस और यूक्रेन के मध्य चल रहे विंध्यशक युद्ध ने सभी छात्रों के सपनों पर पानी फेर दिया है।
यूक्रेन में आज नो दिन हो गए हैं इस विभिषिका की आग में जलते हुए। युक्रेन में चारों ओर गोलियों की गड़गड़ाहट ओर धुंधला होता आसमान दिखाई देता है।
यूक्रेन से भारत वापिस आ रहें छात्रों के भविष्य का अब क्या होगा। क्या ये अपने भविष्य को संवारने के लिए पुनः युक्रेन जायेंगे।
भारतीय छात्रों ने यूक्रेन के तो ये हालात देख लिया है वहां कैसा महसूस किया है इन छात्रों ने।एक कहावत है कि” जान बची से लाखों पाये,लोटकर गोकल घर को आये।
भारत से विदेश शिक्षा प्राप्त करने के लिए परिजनों ने किस तरह रूपए पैसे का इंतजाम किया होगा।यह कितना मुश्किल होता है। किसी ने अपने जीवन की तमाम जमा पूंजी को बच्चों के उज्जवल भविष्य को संवारने में लगा दिया है तो किसी ने बैंक से कर्ज लेकर अपने बच्चों को विदेश शिक्षा प्राप्त करने हेतु भेजा था।
यूक्रेन रूस में चल रहे युद्ध ने उन सभी परिजनों को निराशाजनक स्थिति में पहुंचा दिया है। छात्रों के परिजनों पर इस वक्त क्या गुजर रही है ये तो बस वही जानतें हैं।
