
मेरे नवनीत स्वप्न , मेरी बंजर भूमि की फसल , ऐसे मुझको मिले तुम हो , मेरे जीवन का आधा हिस्सा तुम हो ।
मेरे आगे बढ़ने का सफ़र , शुरू और आखिरी मंजिल
, मेरा जो कुछ,वो तुम ही हो , मेरे जीवन का आधा हिस्सा तुम हो। अन्धकार में रोशनी की किरण ,कर एक सूर्य का वरण , मैं पृथ्वी, स्वामी तुम हो , मेरे जीवन का आधा हिस्सा तुम हो ।
जिसने अपनों का छोड़ शहर ,कर एक अनजान की मदद , वो अनजाने से तुम हो , मेरे जीवन का आधा हिस्सा तुम हो। माटी से सोना बना दिया , जीवन को सुन्दर बना दिया , वो तुम नहीं, तो फिर कौन तुम हो , मेरे जीवन का आधा हिस्सा तुम हो।
मेरा सुन्दर और विशाल मन , हृदय में स्थित सुगंधित उपवन , मेरे चेहरे पर मुस्कराहट के खलिहान तुम हो , मेरे जीवन का आधा हिस्सा तुम हो।
मेरे प्रातः काल का स्मरणीय वर्णन , खिलती हुई धूप का उदगम , बिखरी पड़ी ओस का संगम तुम हो , मेरे जीवन का आधा हिस्सा तुम हो।
मेरे सायंकाल के प्रज्ज्वलित दीप ,मेरी सुनहरी निशा के चन्द्र , हर अन्धकार में ज्योति बनकर आए तुम हो । मेरे जीवन का आधा हिस्सा तुम हो।
भटके राही को मिलें राह ,हर ख्वाहिश पूरी चाह , मेरी तो सारी हसरतें तुम हो , मेरे जीवन का आधा हिस्सा तुम हो।