
यत्र: नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र: देवता: अर्थात् जहां नारी की पूजा (सम्मान) होता है वहां पर देवता निवास करते हैं, ऐसा नारी के विषय में मनुस्मृति में कहा गया है। पृथ्वी के समान भार गृहण करती है नारी! ऐसा सभी कहते हैं। ये सब सुन कर ऐसा लगता है कि नारी का स्थान बहुत ऊंचा है परंतु किसी ने उसके वास्तविक अस्तित्व के विषय में सोचा है कि नारी किस प्रकार अपना जीवन जी रही है? उसे किन किन स्थितियों से अपने अस्तित्व की रक्षा करनी पड़ती है? चलिए उसके विषय में अधिक नहीं मुख्य मुख्य तीन बातें उठा लेते हैं ।
1- भ्रुण हत्या,जी हां बेटी है या बेटा इस बात की जांच कराकर बेटी होने पर उस जगतजननी को इस संसार में आने से पहले ही मार दिया जाता है क्यों ?वह बेटी है तो इसमें उसका क्या दोष है? चलिए मान लिया उसने यहां से अपना अस्तित्व बचा लिया।आ गई वह इस संसार में।ये संसार तो और अधिक घातक है उसके लिए !
2- महिलाओं पर अत्याचार,जब लड़कियां घर से बाहर कदम रखती हैं तो उन्हें ये लगता है कि उन्होंने एक वीरान जंगल में कदम रखा है जहां वो सिर्फ अकेली हैं और उस जंगल में इंसान की शक्ल में कई भेड़िए बैठे हैं। निर्भया, प्रियंका रेड्डी, हाथरस-कांड जैसे अनेक मामले आप समाचार पत्रों, टेलीविजन आदि के माध्यम से देखकर समझ ही चुके होंगे कि महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं? लड़कियां सुरक्षित हैं क्योंकि सरकार इस मामले में सजग है।पर कैसे?इसी विषय पर कुछ याद आया, हमारे महाविद्यालय में हुए एक छोटे -से सम्मेलन में मुख्य अतिथि बनकर आईं महिला थानाप्रभारी अर्पणा रायॅ जी ने मैदान में बैंठी समस्त लड़कियों में उत्साह भरते हुए कहा -“आप लोग पूरी तरह सुरक्षित हैं। क्योंकि आपकी पुलिस हमेशा आपके साथ है। यदि आप किसी जगह अपने आप को असुरक्षित महसूस करती हैं तो आप 112,1090 पर सम्पर्क किजिए।आपकी पुलिस चन्द मिनटों में आपके पास होगी।आप पिज्जा आॅडर करते हो , पिज्जा पार्सल भी देरी से पहुंचता है आपकी पुलिस इससे भी पहले पहुंचेगी।”अर्पणा जी के लगभग आधे मिनट के भाषण ने मुझे सोचने पर बाध्य कर दिया , क्या हमारा अस्तित्व, हमारी सुरक्षा सिर्फ एक पिज्जा पार्सल के समान है जो सिर्फ मांग करने पर ही पूरी होगी? क्या हमारे अस्तित्व का दायरा इतना ही छोटा है? क्या हमें 1090,112 जैसे सुरक्षा मन्त्रों का उच्चारण करते हुए रहना होगा? हमें पुलिस या सरकार से प्रदत्त सुरक्षा नहीं बल्कि हमें हमारी वास्तविक सुरक्षा चाहिए,आप सबसे,समाज के प्रत्येक व्यक्ति से, प्रत्येक जगह, प्रत्येक क्षण।जो हमारा अधिकार है।
3-अब आतें हैं तीसरी बात पर,चलो किसी तरह सुरक्षित रहकर हम आगे बढ़ीं।तो आप दहेज के दानवों से कैसे सुरक्षित रखेंगे? जो दहेज के लिए महिलाओं को भिन्न-भिन्न प्रकार से प्रताड़ित करते हैं। हमारी सरकार, पुलिस, जांच मण्डली तब चलती है जब दहेज के दानव को बलि चढे शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाना हो? जाने वाला तो अपनी जीवन को खो चुका?
ये सब कुकर्म किसी थाने, अदालत या सरकारी दफ्तरों या दुसरी दुनिया में नहीं होते बल्कि हमारे समाज में होते हैं। जहां आप और हम रहते हैं।इसलिए शासन के साथ साथ हमें और आपको भी गहनता से विचार करना चाहिए। आपने आप को समाज का शिष्ट,सभ्य व्यक्ति बनाना चाहिए।
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