समाज सेवा के नाम क्या क्या! जेपी अस्पताल में इलाज करा चुके वरिष्ठ पत्रकार अपने अनुभव साझा कर रहे हैं।

मेरा निवेदन है अपने सभी मित्रों, शुभ चिन्तको से कि समाज को घुन की तरह चाट रही इस बीमारी को लेकर मेरे द्वारा पेश प्रस्तुति को अधिक से अधिक शेयर करने का कष्ट करे धन्यवाद

मेरा बाईपास – शारीरिक, मानसिक यन्त्रणा और आर्थिक शोषण के वो 12 दिन जो जीवन पर्यन्त याद रहेगे – मै अपने स्वयं के साथ घटित इस बाई पास के तथाकथित हादसो पर आपके साथ एपीसोड के माध्यम से अपना अनुभव साझा करने का प्रयास करूगा, विभिन्न अभिलेखो मे जनपद बुलन्दशहर मे छोटी काशी के नाम से विख्यात कस्बा अनूपशहर निवासी प्रसिद्ध उद्योगपति जेपी गौड ने अनेक उद्योगो के साथ जिला गौतमबुद्वनगर के नोएडा सेक्टर 128 मे चमक धमक से भरपूर विशाल जेपी अस्पताल भी स्थापित किया गया है जिसमे तमाम घुमावदार तकनीकि का शिकार बनने के साथ अस्पताल स्टाफ़ ने मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित करने मे कोई कसर बाकी नही छोडी,

मेरा मानना है कि यदि और एक सप्ताह मुझे अस्पताल में रोका जाता , या तो मै मानसिक रूप से विक्षिप्त हो जाता अथवा मेरी जान चली जाती, हा ये सब तो तब हो रहा था जब कम से कम पांच मर्तबा अस्पताल में मुझसे ये पूछा गया था कि क्या काम करते हो ज़वाब मे उन्हे एक ही शब्द सुनने को मिला राष्ट्रीय सहारा मे बुलन्दशहर ज़िला का पत्रकार हू , तो पूछने वाला हस्ता और था, ये सब कुछ तब हो रहा था जब मेरा बेटा अस्पताल का पूरा खर्चा बिल, पैकेज का भुगतान कर रहा था बिना किसी कटौती की आशा मे, अस्पताल से आने के बाद अब दिमाग कुछ सुकून में आया तो उक्त अस्पताल के अनुभवों को सभी के साथ शेयर करने का मन बनाया है,

मै जानता हूं मेरी इस बात से मेरे बेटे मुझसे नाराजगी जता सकते हैं क्योंकि उनका मानना है जो ताकत के बल पर घट रहा है उसे रोका नही जा सकता है, आगे सिलसिलेवार यन्त्रणा त्रासदी के वो 12 दिन एपीसोड समाप्त होने तक जारी रहेगा कि किस तरह समाजसेवा का तथाकथित खेल की आड़ मे काला धन्धा जारी है, वैसे ये भी बता दू इन्ही गौड़ साहब की सैंकड़ों खबरे मैने बिना किसी भेदभाव, लालच आदि के छापी है, लेकिन जब तक इंसान खुद रूबरू नही होता कद, पद और सोच का पता नहीं चल पाता है, खैर अनुभव एपीसोड समापन तक जारी रहेगा अपना सहयोग, आशीर्वाद बनाये रखें,

लेखक:- राजेन्द्र भारद्वाज वरिष्ठ पत्रकार बुलंदशहर

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